Sandhya

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लेखनी प्रतियोगिता -02-Feb-2022

आज फिर  उसी  खामोशी  ने उसी  खामोशी  से मेरा दामन थामा,  शायद  शब्दों  की  कमी पढ़  गई तुम्हें  समझाने को तुम  चुप रहकर भी कुछ कह गए उस खामोशी में  ,एक पल के लिए  खामोश हो गई  मेरी जिंदगी  उस खामोशी  में। 

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1 Comments

Swati chourasia

03-Feb-2022 10:58 AM

Nice

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